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31 Aug 2021 · 1 min read

जख्मों को छेड़ते हैं

जख्मों को छेड़ते हैं वो मेरा हाल पूँछकर
पूँछते हैं कैसे हो यूँ तन्हा छोड़कर
हमसे ये अखलाक उनका अच्छा है या बुरा
उनको तो मजा आता है टूटा दिल चूर-चूर कर
गर थिरकते हैं सरे महफिल गैरों के साथ वो
गुनगुना लेते हैं हम भी दर्द की उफान पर
न समझो फिराक-ए-गम मे डूबे हैं हर घड़ी
मुस्कुरा लेते हैं अक्सर कसमों को याद कर
M.Tiwari”Ayen”

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