प्रेम पाती -1
मन हरण घनाक्षरी
सखियाँ लिख रही है, कृष्ण को प्रेम पाती,
आओ श्याम तुम अब, राधिका को मनाने ।।
लगे मधुवन सुना, मोहन तुम्हारे बिना,
नाचे ना मयूरा मन, बिन बंसी बजाने ।।
आती नहीं है सखियां, यमुना के तट पर,
कदम्ब विटप अब, लगते अनजाने ।।
अखियां भी सूख गई, बाट अब निहारते,
गोपियो के प्राण कृष्ण, आओ तुम बचाने ।।
(रचनाकार कवि- डॉ शिव लहरी )