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30 Aug 2021 · 1 min read

उड़ा दो अरमानों की तितलियाँ

धुंध के बादल छट जाए
हौसलों को दो इतनी उडान
चाहतों के बादल गरजे फिर
हृदय सागर में लाओ तूफान

बो कर कामेच्छा के बीजों को
रोपना न भूल जाना फिर तुम
देकर लगाव, स्नेह का पानी
वटवृक्ष जैसा पेड़ लगाना तुम

सुप्त अवस्था में जो अरमान
झकझोर के उनकों उठा दो
लगा के पंख अरमानों को
गुब्बारों सा ऊँचा उडा दो

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