Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
26 Aug 2021 · 1 min read

निर्वाह

मुझको तू इतनी पिला दे साकी
मयखाने में बोतल बचे ना बाकी

खाली होने से पहले तू जाम भर दे
दिन के उजाले को भी रात कर दे

ये गम का समंदर है डूबने मत देना
घोड़े पर हूँ सवार उतरने मत देना

उतर गई तो याद उसकी जीने नही देगी
बेवफाई उसकी ज़हर भी पीने नही देगी

देकर खुद को धोखा वो गली छोड़ आया हूँ
जो निभ ना सके वो रिश्ते सभी तोड़ आया हूँ

अब तो रिश्ता है मय से जाम से साकी से
वफ़ा निभाऊँगा इन से और बेवफाई बाकी से

वीर कुमार जैन
26 अगस्त 2021

Loading...