नए जमाने की सास
शादी से पहले बहु डरा करती थी ,
पता नहीं कैसी सास मिलेगी ?
आज कल सासें डरती है ,
भगवान जाने कैसी बहु मिलेगी ?
बहुएं रखती है शर्तें शादी से पहले,
सासें तुरंत मान जाती है ।
गृह कार्य में दक्ष है या नहीं ,
इस सवाल को ही नकार जाती है।
बहु गर रहेगी बेटी की तरह ,
तो सास को भी मां बनना पड़ता है ।
उसके नाज़ नखरे , लाड करना,
काम से जी चुराना सहना पड़ता है ।
बहु सास के साथ सामंजस्य बिठाए तो ठीक ,
ना बिठा सके तो सास को बिठाना पड़ता है ।
उसकी अच्छी बुरी आदतों को सहर्ष ,
उसे स्वीकार करना पड़ता है ।
नौकरी पेशा बहु है तो उसे ,
दफ्तर के लिए भी सास तैयार करती है ।
उसका टिफिन ,उसके कपड़े ,
और नाश्ता भी लाड करके खिलाती है ।
पहले ज़माने की सास सीधे मुंह बात ,
भी नहीं करती थी ।
गाली या अरे ओ बहु संबोधन से ही ,
पुकारा करती थी ।
अब तो ” बिटिया, बेटू ,बाबू ,गुड़िया ,मिठ्ठू ,
जाने क्या क्या प्यारे नामों से पुकारती है।
शॉपिंग मॉल या सिनेमा घर ,
सास बहू इकट्ठे भ्रमण करने जाती है।
घर में भी tv serial का भी आनंद ,
दोनो साथ बैठकर लेती है।
पहले ज़माने में बहु सास से पूछकर,
सब काम करती थी ।
अब सास बहू से पूछकर सारे काम करती है ,
उसका अनुसरण करती है ।
क्योंकि आधुनिक सासें है शिक्षित ,
अतः पुरानी सास का चोला उतार फैंका है ।
नए जमाने के अनुसार चलते हुए ,
खुद को आज की युवा पीढ़ी के अनुसार ढाल लिया है
आज की सास ,बहु की निजी जिंदगी में ,
बिलकुल दखल नहीं देती ।
बहु की आजादी में बल्कि और चार,
चांद लगा देती है।
बहु यदि पारंपरिक पोशाक छोड़कर ,
विदेश परिधान पहनती है ।
सास खुश होकर उसकी बलाएं लेती है ।
अपितु स्वयं खरीदकर देती ही ।
सास घर का सारा काम संभालती है,
और उसके बच्चे भी संभालती है ।
बहु को हल्का सा सर्दी जुकाम या बुखार होजाए,
तो सास घबरा जाती है ।
निष्कर्ष: हम यह कहेंगे सास अब ,
बहु और बेटी में कोई फर्क नही करती ।
बहु को बल्कि अपने मित्र ,हमराज ,हमदर्द,
के रूप में सदा देखती है।