Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
25 Aug 2021 · 2 min read

नन्हे नन्हे कदमो से दुनिया देखी है ....

नन्हे नन्हे कदमो से मैंने दुनिया देखा है, यू पैदल चल कर मैंने जीवन को सींचा है ,
कही धूप ,कही,छाया रंग बदलती दुनिया देखी है , गरीबी ,आपदा,और भुखमरी से मैने अपने हौसलो को सींचा है ,

बचपन बीत गयी पीठ पर लादे किताबो से, लुका छिप्पी , चोर पुलिस खेल कर मैंने दुनिया देखी है , इन्ही राम में से कई हजारों रावण मैने देखा है , नफरत की लंका जल उठी ,इन्ही में से मैंने खुशियों का अंबार देखा हैं ,इन्ही नन्हे नन्हे कदमो से मैने दुनिया देखी ।….

अस्त- व्यस्त और डवांडोल कई कीड़े मकोड़े देखे हैं , रंग बदलते कई लोगो के मैने छलावा देखे हैं , कोई नही हैं अपना सबको मैंने पराया देखा है , कइयों को मैने अकेले में फूट फूट कर रोते देखा है ,इन्ही नन्हे नन्हे कदमो से मैंने दुनिया देखी है ।…..

प्रेम के रक्त बीज से जन्मी नफरत का जमाना देखा है , कबूतर की चिट्ठी के बदले मैने फेसबुक,व्हाट्सएप और टिंडर का जमाना देखा है , गुम हो गया बचपन कबूतर उड़ ,कौआ उड़ में ,आज मैंने पब्जी और क्रिकेट का जमाना देखा है , गंगा बहती थी उस जमाने मे जब ऋषि और मुनि रहते थे , ढाई अक्षर पोथी पढ़ कर यहां कर कोई पंडित है , तामझाम का जमाना है यहाँ हर कोई महादेव का चेला है , इन्ही नन्हे नन्हे कदमो से मैंने दुनिया देखी है । …..

कांटो के कीलो में गुलाब जैसा खिलखिलाया मैं ,
फुट फुट कर रोया था ,मैं भी धान की बालि की तरह ,
संघर्ष पथ छोड़ न भागा मैं ,सीना तान खड़ा रहा ,इस वीरान महाभारत में सदा कृष्ण अर्जुन बना रहा , फुकी हैं मैंने बासुरी प्रेम की ,जैसे मोरनी बारिश में नाची है ,इन्ही नन्हे नन्हे कदमो से मैंने दुनिया देखी ।। ….

Loading...