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25 Aug 2021 · 1 min read

मुकम्मल फिर

मुकम्मल फिर कभी हम ख़्वाब की ताबीर कर लेंगे
अक़ीदत की हम अपनी फिर हसीं तस्वीर कर लेंगे

अभी है वक़्त हम मिल कर हिफ़ाज़त मुल्क की कर लें
रहे महफ़ूज़ तो फिर से बड़ी तक़रीर कर लेंगे

©️ शैलेन्द्र ‘असीम’

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