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22 Aug 2021 · 1 min read

कांच के टुकड़े सा यह रिश्ता

कांच के टुकड़े सा
यह रिश्ता
बहुत ही दर्द देता है
जब जब सामने पड़ता है
दिल में कांटे चुभाता है
जख्म कुरेदता है और
बस खून के आंसू
रुलाता है
इसे उठाकर
दिल के मकान से बाहर
फेंकना ही होगा
नहीं तो
वह दिन दूर नहीं
जब यह इस पक्के मकान को
गिराकर
खंडहर न बनायेगा।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
425 Views
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