Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Aug 2021 · 1 min read

चंचल मन…

मेरी चाहत
चंचल हवा है
बिखरी है
विश्वास के
आकाश में

कभी भटकती यहाँ
कभी वहाँ
ठहरी कभी
अपने आशियाने की
आस में

मगर जब
हटती है
सपनों की धुँध
निकलता है
सच का सूरज

तो पाती हूँ
खुद को हमेशा
केवल अपनी
तन्हाईयों के
एहसास में

फिर भी
चलता है प्रतिपल
जीवन को
जो देता है
बूँद -बूँद

है मन को वही
सुकून हर पल

चंचल ही सही
मेरा मन तो है
मेरे पास में…
-✍️देवश्री पारीक ‘अर्पिता’
©®

Language: Hindi
6 Likes · 8 Comments · 569 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

जीवन में जोखिम अवश्य लेना चाहिए क्योंकि सबसे बड़ा खतरा कुछ भ
जीवन में जोखिम अवश्य लेना चाहिए क्योंकि सबसे बड़ा खतरा कुछ भ
पूर्वार्थ देव
12. The Motherly Touch
12. The Motherly Touch
Santosh Khanna (world record holder)
तुम्हारी आँखें कमाल आँखें
तुम्हारी आँखें कमाल आँखें
Anis Shah
वो एक ही मुलाकात और साथ गुजारे कुछ लम्हें।
वो एक ही मुलाकात और साथ गुजारे कुछ लम्हें।
शिव प्रताप लोधी
संन्यास के दो पक्ष हैं
संन्यास के दो पक्ष हैं
हिमांशु Kulshrestha
-हर घड़ी बदलती है यह ज़िन्दगी कि कहानी,
-हर घड़ी बदलती है यह ज़िन्दगी कि कहानी,
Radha Bablu mishra
आज हमारी बातें भले कानों में ना रेंगे !
आज हमारी बातें भले कानों में ना रेंगे !
DrLakshman Jha Parimal
नेता जी सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती पर सादर नमन
नेता जी सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती पर सादर नमन
Dr Archana Gupta
हाथ पकड़ चल साथ मेरे तू
हाथ पकड़ चल साथ मेरे तू
Aman Sinha
युद्ध का आखरी दिन
युद्ध का आखरी दिन
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
3083.*पूर्णिका*
3083.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरे दोहे
मेरे दोहे
Rambali Mishra
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
Rj Anand Prajapati
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
कोई इस कदर भी
कोई इस कदर भी
Chitra Bisht
धुंध छाई उजाला अमर चाहिए।
धुंध छाई उजाला अमर चाहिए।
Rajesh Tiwari
ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
Buddha Prakash
पत्नी का ताना । हास्य कविता। रचनाकार :अरविंद भारद्वाज
पत्नी का ताना । हास्य कविता। रचनाकार :अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
प्रीत
प्रीत
श्रीहर्ष आचार्य
लाइब्रेरी की दीवारों में, सपनों का जुनून
लाइब्रेरी की दीवारों में, सपनों का जुनून
पूर्वार्थ
साध्य पथ
साध्य पथ
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
नव संवत्सर
नव संवत्सर
Karuna Goswami
शिद्दतों   का    ख़ुमार    है   शायद,
शिद्दतों का ख़ुमार है शायद,
Dr fauzia Naseem shad
जो सबके साथ होता है,
जो सबके साथ होता है,
*प्रणय प्रभात*
विषय-अर्ध भगीरथ।
विषय-अर्ध भगीरथ।
Priya princess panwar
कोई बात नहीं, कोई शिकवा नहीं
कोई बात नहीं, कोई शिकवा नहीं
gurudeenverma198
मन की बुलंद
मन की बुलंद
Anamika Tiwari 'annpurna '
भले लोगों के साथ ही बुरा क्यों (लघुकथा)
भले लोगों के साथ ही बुरा क्यों (लघुकथा)
Indu Singh
मन तो करता है मनमानी
मन तो करता है मनमानी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
घोटुल
घोटुल
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...