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19 Aug 2021 · 1 min read

रौशनी बाकी रहे

छंट जाये तम दिलों से
रौशनी बाकी रहें
धरा मुस्कराये जी भर के
रौशनी बाकी रहें

द्वन्द न हो अपनो के बींच
रौशनी बाकी रहें
मुहब्बत की पौंध को सींच
रौशनी बाकी रहे

आसमां झूम कर गाये
रौशनी बाकी रहे
आस प्रसून खिले जाये
रौशनी बाकी रहे

~~डॉ मधु त्रिवेदी ~~

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