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17 Aug 2021 · 1 min read

ईश्वर का स्वरूप !

दुनिया में कितने मजहब हैं,
हर रूप में देखो यहां रब है।
पूजा पद्धति सबकी पृथक है,
मंजिल सबकी लेकिन एक है।

कहीं हाथ जोड़कर पूजा होती,
कहीं खुले हाथों होती इबादत।
मंदिर में मंत्र श्लोक सुजान है,
मस्जिद में होती रोज़ अजान है।

कोई कहता रब का आकार है,
कोई मानता उन्हें निरंकार है।
कोई गिरिजा में गुहार लगाए,
कोई गुरुद्वारा में पुकार लगाए।

जैसे चाहें उसका हम ध्यान करे,
मन्दिर मस्जिद सब उसके धाम हैं
जिस किसी रूप में हम याद करें,
वो तो सबके लिए एक समान है।

उसके घर कोई बंटवारा नहीं,
उसके बिना कहीं उजियारा नहीं।
वो ही हम सब का भाग्य विधाता,
इस धरा पर वो ही जीवन दाता।

उसके इशारे से पृथ्वी घूमती,
उसकी इच्छा से प्रकृति झूमती।
वो काल का भी स्वयं स्वामी है,
वो सर्वज्ञ है वो ही अन्तर्यामी है।

अलग अलग राहों से सब जाते,
अंत में हम सब उसको ही पाते।
राम रहीम सब उसके ही रूप हैं
जो है सब ईश्वर का स्वरूप है।

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