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15 Aug 2021 · 1 min read

यह आसमान तो मेरा है

मेरे घर की
छत से
दिखता
यह आसमान तो मेरा है
यह कभी नहीं बदलता है
बादलों के टुकड़ों का क्या
वह तो कभी भी कहीं से उड़कर
आते रहते हैं
फिर न जाने
पंछियों की तरह ही
उड़कर कहीं जाते रहते हैं
मेरा रिश्ता तो
आसमान से है
इसके बादलों से नहीं
यह स्थाई है
जब तक मैं हूं
तब तक तो है
लेकिन यह
आसमान सच में
महान है
इसपर मंडराते बादल
स्थाई नहीं
अस्थाई है
यह न जाने इनसे
कैसे एक स्थाई रिश्ता
बनाये रखता है
यह सब मेरे बस का नहीं
मैं आसमान जितनी
ऊंची और महान नहीं
जमीन पर रहती हूं तो
जमीन पर ही विचरते
दूसरे तुच्छ प्राणियों जैसी ही हूं।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
453 Views
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