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14 Aug 2021 · 2 min read

आजादी

आजाद भारत में आजादी के बदले पैमाने
अच्छे से तो आज की पीढ़ी समझे और जाने

अंग्रेजों से आज़ाद कराया तो आजादी कहलायी
देश से अपने उनको भगाया तो आजादी कहलायी
भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव सरीखों ने जब
फंदे को चूम झूल गए तो आज़ादी कहलायी

गांधी जी ने सूत काता तो आजादी कहलायी
अहिंसा का जय घोष हुआ तो आजादी कहलायी
तुम मुझे खून दो में तुम्हे आज़ादी दूंगा
नेता जी ने जब कहा तो आजादी कहलायी

लक्ष्मी ने शमशीर उठाई तो आजादी कहलायी
घोड़े पर हुई सवार तो आजादी कहलायी
मंगल पांडे ने नकार दिया तो आज़ादी कहलायी
अंग्रेजों को खदेड़ दिया तो आजादी कहलायी

हमने तो यही सब पढ़ा सुना था किताबों में
वीरता झलकती थी सेनानियों की बातों में
हाथ माथ मिल जाते थे शहीदों की शान में
जयकारे गूंज गूंज जाते भारत माता की आन में

लेकिन देखो आज परिवर्तन की लहर चली
आज़ादी की परिभाषा एक नई डगर चली
आँखें झुक झुक जाती इस नई आज़ादी में
मजबूरी में साथ खड़े नई पीढ़ी की बर्बादी में

आज़ादी से आज़ाद हो गए अपने ही देश में
आज सभी डूब गए पाश्चात्य परिवेश में
तन ढकने को पूरा लिबास ना अब भाता है
पब में पाँव थिरकते हाथ में जाम जब आता है

मां बाप की नसीहतें दफन हो गई चारदीवारी में
धर्म ग्रंथ गीता रामायण बंद हो गए अलमारी में
ना जाने कैसे कैसे संगीत के सब दीवाने हो गए
हम भी इस जमाने के संग अब तो मस्ताने हो गए

वीर कुमार जैन
14 अगस्त 2021

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