तारीख
तारीख के सफ्हो पर आज इंसान खड़े है ,
वो जायदा तर लाशों पर खड़े है ,
हर एक जिंदगी है पानी का बुलबुला,
हर कोई सर पर कफ़न बांधे खड़े हैं।
तारीख के सफ्हो पर आज इंसान खड़े है ,
वो जायदा तर लाशों पर खड़े है ,
हर एक जिंदगी है पानी का बुलबुला,
हर कोई सर पर कफ़न बांधे खड़े हैं।