Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Aug 2021 · 1 min read

गीत……आओ सहेली तीज मनाएं

………… गीत

आओ सहेली तीज मनाएं
सावन में खुशीयां मिल गाएं
ऊंची – ऊंची पैंग बढ़ाकर
सावन की महलारें गाएं
आओ सहेली………………….

अब सौलह श्रृंगार भी करलो
नैनों में बलमा को भरलो
साल में ये एक बार है आता
मन कितना इसमें हर्षाए
आओ सहेली…………………

नैनों का काजल कहता है
कानों का झूमर कहता है
कहता है माथे का टिका
साजन के संग पैंग बढ़ाएं
आओ सहेली………………….

नाच रहीं परीयों सी गुड़िया
मस्ती में है सारी बुढ़िया
याद जवानी फिर आती है
बिन दांतों के ही मुस्काए
आओ सहेली………………….

खेलों के मैदान सजे हैं
भंगडा तांसे खूब बजे है
चारों और छाई खुशहाली
देख ये अंग अंग टूटा जाए
आओ सहेली………..

मैडल लाया खूब इंडिया
हम भी खेलें आओ डांडिया
मन के सारे भेद मिटा दो
कोयलया भी गीत ये गाएं
आओ सहेली तीज मनाएं…….।।
=========
प्रस्तुत रचना मूल के अप्रकाशित रचना है
जनकवि/ बेखौफ शायर
….. डॉ. नरेश “सागर”
11/08/2021……91490847291

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 486 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

मेरी ख़्वाहिश ने मुझ को लूटा है
मेरी ख़्वाहिश ने मुझ को लूटा है
Dr fauzia Naseem shad
शिव शून्य हैं
शिव शून्य हैं
Sanjay ' शून्य'
रोज खोज मत रोज को,
रोज खोज मत रोज को,
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal (कौशलेंद्र सिंह)
आप खुद का इतिहास पढ़कर भी एक अनपढ़ को
आप खुद का इतिहास पढ़कर भी एक अनपढ़ को
शेखर सिंह
तेरी मुस्कान होती है
तेरी मुस्कान होती है
Namita Gupta
घंटीमार हरिजन–हृदय हाकिम
घंटीमार हरिजन–हृदय हाकिम
Dr MusafiR BaithA
dark days
dark days
पूर्वार्थ
🙅भूलना मत🙅
🙅भूलना मत🙅
*प्रणय प्रभात*
तेरी महफ़िल में सभी लोग थे दिलबर की तरह
तेरी महफ़िल में सभी लोग थे दिलबर की तरह
Sarfaraz Ahmed Aasee
जीवन संगीत अधूरा
जीवन संगीत अधूरा
Dr. Bharati Varma Bourai
कुछ ज़ख्म अब
कुछ ज़ख्म अब
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
बहकते हैं
बहकते हैं
हिमांशु Kulshrestha
नशा
नशा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
हे वसंत,  मधुकर मधुकरियाँ करती आज किलोलें।
हे वसंत, मधुकर मधुकरियाँ करती आज किलोलें।
S K Singh Singh
आधुनिक टंट्या कहूं या आधुनिक बिरसा कहूं,
आधुनिक टंट्या कहूं या आधुनिक बिरसा कहूं,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
दिवाली ऐसी मनायें
दिवाली ऐसी मनायें
gurudeenverma198
जीवन में ईनाम नहीं स्थान बड़ा है नहीं तो वैसे नोबेल , रैमेन
जीवन में ईनाम नहीं स्थान बड़ा है नहीं तो वैसे नोबेल , रैमेन
Rj Anand Prajapati
सिखला दो न पापा
सिखला दो न पापा
Shubham Anand Manmeet
प्रयाग में महाकुंभ
प्रयाग में महाकुंभ
Rekha khichi
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Vaishaligoel
हर पीड़ा को सहकर भी लड़के हँसकर रह लेते हैं।
हर पीड़ा को सहकर भी लड़के हँसकर रह लेते हैं।
Abhishek Soni
हब्स के बढ़ते हीं बारिश की दुआ माँगते हैं
हब्स के बढ़ते हीं बारिश की दुआ माँगते हैं
Shweta Soni
आखिर क्यों
आखिर क्यों
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*राजकली देवी शैक्षिक पुस्तकालय*
*राजकली देवी शैक्षिक पुस्तकालय*
Ravi Prakash
फूल फूल और फूल
फूल फूल और फूल
SATPAL CHAUHAN
दो व्यक्ति जो वार्तालाप करते है वह है कि क्या ,वह मात्र शब्द
दो व्यक्ति जो वार्तालाप करते है वह है कि क्या ,वह मात्र शब्द
अश्विनी (विप्र)
"वक्त आ गया है"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रतिभा दमन, कारण एवं निवारण
प्रतिभा दमन, कारण एवं निवारण
Sudhir srivastava
भौतिक युग की सम्पदा,
भौतिक युग की सम्पदा,
sushil sarna
Loading...