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10 Aug 2021 · 1 min read

नाव कागज़ की

एक भूली याद को फिर गुनगुनाना चाहता हूँ,
जा कर बचपनों में खिलखिलाना चाहता हूँ।
दौड़कर बारिशों में दोस्तों संग ऐ खुदा,
नाव कागज़ की मैं फिर से चलाना चाहता हूँ।

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