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6 Aug 2021 · 1 min read

चांद-औ-सितारे

हमने कभी रब से सहारे नहीं मांगे।
हो बस सुकून वैसे इशारे नहीं मांगे।

कर के कड़ी मेहनत बिताये सभी दिन,
यारों दुआ में सुख – गुजारे नहीं मांगे।

जब भी किया दिल बस उसे देख लेते,
सच है कभी चांद-औ-सितारे नहीं मांगे।

ले नाव सागर में बिना ही किसी पतवार,
आगे बढ़े लेकिन किनारे नहीं मांगे।

हर मोड़ पर चाहत बिकी है “मुसाफिर”,
पर उसने तुमसे हुस्न-नजारे नहीं मांगे।।

रोहताश वर्मा ” मुसाफ़िर “

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