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5 Aug 2021 · 1 min read

मेरे लब तो उगलेंगे बातें ---- गजल/ गीतिका

हैसियत न थी मेरी तेरी महफ़िल के काबिल।
तभी तो तूने मेरे दिल पर चोंट करी।।
न्योता उन्हें दिया जिसने तेरी हां में हां भरी।
मेरे सत्य कथनों से तू रहने लगी डरी डरी।।
मै नहीं बदल सकता था राह अपने ईमान की।
इसी से होती मेरे दिल की बगिया हरी_ भरी।
तेरे नगमे तेरे मेहमान तुझे हो मुबारक।
मेरे लब तो उगलेंगे बातें हमेशा खरी – खरी।।
राजेश व्यास अनुनय

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