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4 Aug 2021 · 1 min read

अक्षम

यह एक पेड़ की टहनी
पत्तों से लदी है
गर्दन इसकी झुकी है
सांस इसकी रुकी है
चेहरे पर इसके तनाव है
मन भी इसका उदास है
फूलों की खुशबुओं से तो
हरदम महकती है फिर
जीवन में किस मुकाम की इसे
अब तलाश है
चंदनबन में रहते रहते
चंदन की लकड़ी सी तो बन गई है
चाहती थी या नहीं चाहती थी
जाने अंजाने पर
महकते उपवनों के जाल में तो
फंस गई है
इससे बाहर निकलना चाहती है या
इन सबके बीच रहना चाहती है
यह निर्णय लेने में नहीं सक्षम है
तभी इतनी विनम्र है
जीने की कला में अभी भी दक्ष नहीं
निपुण नहीं
आत्मविश्वास की भी कहीं कमी
है
जीवन गुजर जायेगा
जीवन को समझने में अभी भी
अक्षम है।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
1 Comment · 749 Views
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