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3 Aug 2021 · 1 min read

अकड़

मैं जानता था तुम गिर के सम्भल नही पाओगे
जिंदगी के सफर में चलते चलते लड़खड़ाओगे
तुम्हारी वो अकड़ मेरा कुछ नही बिगाड़ सकती
संग में खड़ा मिलूंगा मैं नज़रे जब तुम उठाओगे

वीर कुमार जैन
03 अगस्त 2021

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