Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Aug 2021 · 1 min read

भूख

भूखे की शिनाख्त हो,
फिर लंगर में इलाज,
मान लेना, जान लेना,
फिर
ब्राह्मण वैश्य या शूद्र.
.
मन की पहले पहचान.
फिर धार्मिक अहसान.
कौन बडे, छोटे कौन..
देखे अव्यवस्थित कौन

Language: Hindi
4 Likes · 3 Comments · 695 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mahender Singh
View all

You may also like these posts

हक़ीक़त
हक़ीक़त
Shyam Sundar Subramanian
नही आवड़ै
नही आवड़ै
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
221 2122 2 21 2122
221 2122 2 21 2122
SZUBAIR KHAN KHAN
4210💐 *पूर्णिका* 💐
4210💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
स्वर्ग से उतरी बरखा रानी
स्वर्ग से उतरी बरखा रानी
Ghanshyam Poddar
संवाद
संवाद
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal (कौशलेंद्र सिंह)
मरने के बाद भी ठगे जाते हैं साफ दामन वाले
मरने के बाद भी ठगे जाते हैं साफ दामन वाले
Sandeep Kumar
बुझाने को तैयार हैं कई दिल की आग को,
बुझाने को तैयार हैं कई दिल की आग को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कायदों की बेड़ियों
कायदों की बेड़ियों
Chitra Bisht
प्रेम
प्रेम
Karuna Bhalla
गौरैया
गौरैया
surenderpal vaidya
😢ज्वलंत सवाल😢
😢ज्वलंत सवाल😢
*प्रणय प्रभात*
Zindagi mai mushkilo ka aana part of life hai aur unme sai h
Zindagi mai mushkilo ka aana part of life hai aur unme sai h
Sneha Singh
स्वर्ण पदक
स्वर्ण पदक
Sahil Ahmad
बहारों का मौसम सज़ा दिजिए ।
बहारों का मौसम सज़ा दिजिए ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
दादी और बचपन
दादी और बचपन
Savitri Dhayal
तेरी यादों ने इस ओर आना छोड़ दिया है
तेरी यादों ने इस ओर आना छोड़ दिया है
Bhupendra Rawat
" परिभाषा "
Dr. Kishan tandon kranti
जमाने के रंगों में मैं अब यूॅ॑ ढ़लने लगा हूॅ॑
जमाने के रंगों में मैं अब यूॅ॑ ढ़लने लगा हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
मन मेरे बासंती हो जा
मन मेरे बासंती हो जा
संतोष बरमैया जय
लोग अब हमसे ख़फा रहते हैं
लोग अब हमसे ख़फा रहते हैं
Shweta Soni
दुल्हन
दुल्हन
शिवम "सहज"
कविता
कविता
Shiva Awasthi
आँलम्पिक खेल...... भारतीय टीम
आँलम्पिक खेल...... भारतीय टीम
Neeraj Kumar Agarwal
मायका
मायका
Dr. Pradeep Kumar Sharma
उल्फत अय्यार होता है कभी कबार
उल्फत अय्यार होता है कभी कबार
Vansh Agarwal
सादगी मुझमें हैं,,,,
सादगी मुझमें हैं,,,,
पूर्वार्थ
दोहा
दोहा
Suryakant Dwivedi
भूखों का कैसा हो वसंत / राजकुमार कुंभज
भूखों का कैसा हो वसंत / राजकुमार कुंभज
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
स्वयं के लिए
स्वयं के लिए
Dr fauzia Naseem shad
Loading...