Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
1 Aug 2021 · 1 min read

ज़िद

साहिलों को छोड़ ,
कश्ती समुंदर की और मोड़ ली

क्योंकि प्यास बुझती नहीं अब इनसे,
अब, नमकीन की आदत सी हो गई है

अक्सर , तूफानों को साहिलों से देखा हैं ,
कश्तियों को मंजिलों से दूर करते हुए…

ज़िद हमारी भी है ,
कश्ती को तूफानों में ही किनारे लगाना है

उमेंद्र कुमार

Loading...