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31 Jul 2021 · 1 min read

तोहफा

मेरे घर जब बेटी ने जन्म लिया
ईश्वर ने अनमोल तोहफ़ा दिया

चेहरे पर अजब सी मुस्कान थी
मेरी बेटी मेरी शान थी

गोद में जब उसको उठाया
दिल में एक सुकून सा पाया

उंगली थाम के चलना सिखाया
बड़ी हुई किताब कलम थमाया

पढ़ लिख कर नाम रोशन कर दिया
गर्व से मेरा सीना चौड़ा कर दिया

जिस घर आंगन में बचपन बिताया
आज उसे छोड़ जाने का दिन आया

विदाई की आ गई यह घड़ी है
घर के आंगन में डोली खड़ी है

आंसू जुदाई के बह रहे आंखों से
लगता है जैसे सांसे टूट रही सांसों से

ये पल फिर भी बड़े सुहाने हैं
जुदाई के ये पल एक दिन तो आने हैं

वीर कुमार जैन
31 जुलाई 2021

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