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28 Jul 2021 · 1 min read

वक्त से गुजारिश

ए वक्त ! जरा ठहर जा कुछ पल के लिए ,
मेरी नन्ही सी मासूम सी ख्वाइशों के लिए।

अभी तेरे कदमों से कदम मिलाना मुश्किल,
थोड़ी मोहलत तो दे हमकदम बनने के लिए।

अभी अभी तो खुली है उनकी नन्ही आंखे ,
अपने सुनहरे ख्वाबों की ताबीर के लिए।

तू गर चलेगा तेज रफ्तार से गुबार उड़ाकर ,
उन्हें कैसे दिखेगी राह हमराह बनने के लिए।

तू दे सके गर एक लम्हा भी उधार उन्हें तो ,
काफी है ये चंद खुशियों तस्कीन के लिए।

तू थोड़ी सी दोस्ती ही कर ले उनके साथ,
बड़ा लुत्फ होगा जिंदगी के सफर के लिए ।

मालूम है इस साथ की उम्र जायदा लंबी नहीं,
फिर भी हम निभायेंगे अपनी खुशी के लिए ।

तेरे सफर की तो हद नही तो क्या इनकी हद हैं?
इस जन्म में नहीं तो फिर अगले जन्मों के लिए।

इन ख्वाइशों में बसती है जां मेरी,और मेरा दिल ,
देख वक्त ! तू कभी न तोड़ना इन्हें खुदा के लिए।

ए वक्त !तुझे देख रही है बड़ी उम्मीद से ये “अनु”,
तेरा एक इशारा ही काफी है इन ख्वाइशों के लिए ।

6 Likes · 2 Comments · 644 Views
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