Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jul 2021 · 4 min read

कौन था?

कहानी कोई पचास बरस पहले की है जब टेलीफोन और यातायात के साधन सिर्फ शहरों की शोभा बढ़ाते थे, गांवों में न बिजली के तार थे न बल्ब, ऐसी ही एक दोपहर जब अचानक किसी गलती की वजह से अम्माँ ने मुन्नी को डाँट दिया था, मुन्नी कोई 14 15 बरस की रही होगी, गोरी चिट्टी खूबसूरत, गुस्से में घर से निकल गयी यही कोई एक दो बजे की बात, अम्माँ को लगा शायद यहीं आस पड़ोस में हो, पर मुन्नी गुस्से में भरी पैदल ही घर से ननिहाल के लिए निकल गयी, जो 10 12 किलोमीटर की दूरी पर था। चलते चलते शाम हो रही थी, सूरज डूबने को था अंधेरा घिर आया था कि मुन्नी एक बाग में पहुँची, जहाँ से लोग आया जाया करते थे, आगे बढ़ती हुई मुन्नी अचानक ठिठक गयी, कि पास ही एक मटके में बकरे का सर था खून से लतपथ, कुछ अगरबत्तियां, सिंदूर , लाल कपड़े और जाने क्या क्या? डर से मुन्नी की घिग्घी बन्ध गयी, बाग घना था ऊपर से सूरज की रोशनी हल्की ही बची थी यानी गोधूलि के बाद कि बेला थी, मुन्नी की सांस अटकी हुई थी कि तभी उसे एक आदमी दिखा लम्बा सा साँवले कद का लुंगी और कुर्ता पहने, मुन्नी के पास आया मुन्नी की सांस में सांस आई आदमी मुन्नी से उसके बारे में पूछने लगा यहाँ कहाँ से आ गयी, इस वक़्त, वो भी अकेली और मुन्नी उसे बताने लगी सब, सब जान कर उसने मुन्नी से पूछा कि जाना कहाँ है मुन्नी ने पता बता दिया, आदमी कोई भला मानस था, मुन्नी को लेकर आगे बढ़ने लगा, कोई 8 या 9 बजे के करीब जब मुन्नी ने मामी के घर का दरवाजा खटखटाया, दरवाज़ा खोलने पर मामी ने जब मुन्नी को देखा तो दरवाज़े से हट गयीं, पर मुन्नी को अकेला देख कर वो भी सवाल पर सवाल करने लगीं,
मुन्नी ने सब बता दिया लगभग सबने गुस्सा किया, पर इतनी रात कौन जाता बताने की मुन्नी यहाँ आई है, सुबह कोई जाएगा तो बता आएगा ये सोच कर सब अपने अपने कामों में लग गए सोने का वक़्त था, सर्दियों के दिन की अचानक छत पर पत्थरों की बारिश होने लगी, बीहड़ देहात था, चोर उचक्के आए दिन ऐसी हरकतें करते थे, तो घर के मर्द लालटेन ले कर घर के पीछे चले गए जहाँ से रेल की छोटी लाइन गुजरती थी जो काफी ऊंचाई पर था अंधेरा था फिर पेड़ पौधे, थक हार कर सब लौट आए।
इधर मुन्नी ने कहा कि उसे टॉयलेट जाना है, जो घर मे था नहीं, तो साथ मे एक और लड़की जो उसकी ख़ाला की बेटी रानी थी को लेकर जैसे ही वो आगे बढ़ी की सामने एक अजीब सी मोटी बिल्ली लेटी हुई थी, आँखे अजीब ढंग से चमक रहीं थी, उसे देखते ही मुन्नी ने रानी को वापस चलने का इशारा किया और कोठरी में आ गयी, कोठरी में आते ही मुन्नी कांपने लगी उसे तेज़ बुखार चढ़ आया चादरें उढ़ाई गयीं, कम्बल।
साथ में रानी भी सो रही थी कि अचानक रानी को सांस घुटती हुई महसूस हुई, आंख खुली तो मुन्नी उसकी छाती पर सवार उसका गला दबाए जा रही थी, रानी ने पूरी ताकत से मुन्नी को झटका और चीख़ मार कर भागी, सब घर वाले इकट्ठा हो गए, मुन्नी की दशा अजीबों गरीब थी नाना काफी जानकार थे, वो मुन्नी को दुआएँ पढ़ पढ़ कर दम करते रहे, आखिर मुन्नी शांत हो कर सो गई पर घर का कोई भी चैन से न सो सका। तमाशा उसके बाद शुरू हुआ , मुन्नी को वापस उसके घर ले जाया गया, जहाँ कुछ वक्त तक तो सब ठीक रहा, फिर अचानक मुन्नी गायब हो गयी, हर जगह ढूंढी गयी, बाजार चौराहे, पास पड़ोस, ट्रैन, ननिहाल सहेली के घर, पर किसी ने उसे कहीं जाते हुए देखा ही नहीं था, कुछ वक्त बाद मुन्नी मुम्बई में थी, घूमती हुई, चाचा को लगा शायद उनका वहम है जब उन्होंने घर फोन किया और किसी से खबर भिजवाई की उन्होंने हूबहू मुन्नी की शक्ल की लड़की देखी है तो घर वाले हैरान रह गए, क्या कहते, की अगले दिन मुन्नी घर पर थी, जब उससे पूछा गया तुम कहाँ थी उसने कहा जब तुम ट्रैन में ढूंढ रहे थे, उस आदमी ने मुझे पोटली बना कर उसमें छुपा दिया था, कौन आदमी? पूछे जाने पर मुन्नी ने उसका हुलिया बताया वही लम्बा, चौड़ा लुंगी कुर्ते वाला आदमी जो उसे उस शाम बाग में मिला था, जिसने उसे घर छोड़ा था,
पर उज़ दिन तो ननिहाल वालों ने यही देखा था कि मुन्नी अकेली ही आई थी,हालात अब अजीब से अजीबतर हो चले थे, लोग मुन्नी से डरने लगे थे, घर का एक बच्चा ज़िद पर अड़ा था, रोए जाता था चीख चीख कर कि मुन्नी ने उसे मिठाई देते हुए कहा ले खा ले, जबकि घर मे कोई मिठाई नही थी, इसी तरह जाने कहाँ कहाँ से वो ताज़ी ताज़ी मिठाईयां ला देती हवा में ही, गहने, कपड़े की अब लोग उससे डरने लगे थे, जाने कितने मौलवियों हाफिजों को दिखाया गया, मजार, दर, दवाएँ
सब बेअसर,
फिर एक हाफिज को दिखाया गया, हालात कुछ संभले, शादी के लिए कोशिशें की जाने लगीं पर आस पास के रिश्तेदार जो जानते थे, सबने हाथ खड़े कर दिए,
तो चाचा ने मुम्बई में ही रिश्ता ढूंढा खूबसूरत थी ही खानदान भी अच्छा था, जल्दी ही शादी भी हो गयी और वो चली भी गयी, फिर मैं भी चली आई और अब राब्ता भी न के बराबर है, मायके आती जाती रहती है, पर कोई और खबर सुनने को न मिली, तब से फिर क्या हुआ?
क्या मुन्नी सच मे ठीक हो गयी? क्या हुआ था उसे? कौन था वो सांवला लम्बा सा लुंगी कुर्ते वाला आदमी, कोई देव? जिन्न? जो उसे पल में गायब कर देता, पल में वापस ला देता? क्या उसने इतनी आसानी से मुन्नी का पीछा छोड़ दिया? यूँही… या क्या मुन्नी कोई जादूगर थी कि हवा से मिठाईयाँ, कपड़े, ज़ेवर वगैरह बना लेती? जैसे और भी सवाल हैं पर जवाब नहीं मिल पाए…

4 Likes · 6 Comments · 589 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

इश्क का तोता
इश्क का तोता
Neelam Sharma
भावात्मक
भावात्मक
Surya Barman
"कला"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shally Vij
एक तरफा मोहब्बत...!!
एक तरफा मोहब्बत...!!
Ravi Betulwala
काश
काश
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
https://jlfunwin.com/
https://jlfunwin.com/
jlfunwin
3588.💐 *पूर्णिका* 💐
3588.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
The Moon and Me!!
The Moon and Me!!
Rachana
Vươn tới đỉnh cao cùng SV88. SV88 là nhà cái cá độ cá cược t
Vươn tới đỉnh cao cùng SV88. SV88 là nhà cái cá độ cá cược t
SV88
दोहा पंचक. . . नैन
दोहा पंचक. . . नैन
sushil sarna
ग़ज़ल _ याद आता है कभी वो, मुस्कुराना दोस्तों ,
ग़ज़ल _ याद आता है कभी वो, मुस्कुराना दोस्तों ,
Neelofar Khan
आल्हा छंद
आल्हा छंद
seema sharma
सड़ रही है उदासी तनहाई-संदीप ठाकुर
सड़ रही है उदासी तनहाई-संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
जिसे सबसे अधिक ख़ोजा गया
जिसे सबसे अधिक ख़ोजा गया
पूर्वार्थ
हवा भी कसमें खा–खा कर जफ़ायें कर ही जाती है....!
हवा भी कसमें खा–खा कर जफ़ायें कर ही जाती है....!
singh kunwar sarvendra vikram
शिव शक्ति विवाह (महाशिवरात्रि)
शिव शक्ति विवाह (महाशिवरात्रि)
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
तीस की उम्र में
तीस की उम्र में
Urmil Suman(श्री)
मैं हिंदी में इस लिए बात करता हूं क्योंकि मेरी भाषा ही मेरे
मैं हिंदी में इस लिए बात करता हूं क्योंकि मेरी भाषा ही मेरे
Rj Anand Prajapati
शिक्षक पर दोहे
शिक्षक पर दोहे
sushil sharma
पहली बारिश
पहली बारिश
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
"आतिशी" का "अनशन" हुआ कामयाब। घर तक पहुंचा भरपूर पानी।
*प्रणय प्रभात*
अटल का सुशासन
अटल का सुशासन
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
*सबकी अपनी दुनिया*
*सबकी अपनी दुनिया*
Dr. Vaishali Verma
मोल कोई
मोल कोई
Dr fauzia Naseem shad
संत हूँ मैं
संत हूँ मैं
Buddha Prakash
माँ दुर्गा अष्टमी
माँ दुर्गा अष्टमी
C S Santoshi
घर पर ध्यान कैसे शुरू करें। ~ रविकेश झा
घर पर ध्यान कैसे शुरू करें। ~ रविकेश झा
Ravikesh Jha
- कातिल तेरी मुस्कान है -
- कातिल तेरी मुस्कान है -
bharat gehlot
*नयनों में नीर की बाढ़ लाई है*
*नयनों में नीर की बाढ़ लाई है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...