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27 Jul 2021 · 1 min read

प्रक्षालन

उमड़ घुमड़ कर बदरा छाये धरती के प्रक्षालन को
पानी का सैलाब बहा है धरती के प्रक्षालन को

अम्बर से गिरती बूंदों ने माँ का आँचल भिगो दिया
गर्मी की भीषण ज्वाला को छू कर के शीतल किया

आओ सब मिलकर आज गीत सावन के गाते हैं
ऐसे सुहावने पल तो केवल सावन में ही आते हैं

ये पल फिर ना आएंगे इनको ना यूँ ही जाने दो
गर्म चाय की प्याली संग तले पकोड़े खाने दो

वीर कुमार जैन
27 जुलाई 2021

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