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26 Jul 2021 · 1 min read

पनाह

कोशिशें बहुत की
फिर भी न जाने कयूं
गुजर रही है जिन्दगी
नित नये गुनाहो मे ।

भुला कर तुझे
भटक रहा है दिन रात
चंचल नादान मन मेरा
आज दसों दिशायों मे ।

जी भर की जी है
मैंने जिंदगी तेरी
थक सा गया हूं
सफर के कुछ बदलते रास्तों मे ।

लगता नही दिल
तेरे संसार मे
आवाज दे के बुला ले मुझे
अब तू अपनी पनाहों मे ।।

राज विग 26.07.2021

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