Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
25 Jul 2021 · 1 min read

" सफलता का मंत्र "

” सफलता का मंत्र ”
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
———————-

ह्रदय बिदीर्ण हुआ है मेरा,
अंगों का पक्षाघात हुआ !
जिस आशा से बाग लगाया ,
पतझड़ से सब टूट गया !!

जिम्मेदारी से दूर रहे हो ,
घर को घर नहीं समझते हो!
क्या जीवन का मूल्य यही है ,
झूठे आडम्बर करते हो !!

धारा गति को छोड़ हमेशा ,
उल्टी राह जो जाता है !
उसका जीवन सब कुछ पाकर ,
औन्धे मुँह गिर जाता है !!

झूठों की नीवों पर हम ,
कुछ क्षण तो इतराते हैं !
पर लोगों के सन्मुख होकर ,
अंतरात्मा से घबराते हैं !!

जिस सामाज में रहकर प्राणी ,
लोगों को न पहचान सके !
उसका जीवन क्या है जीवन ,
जो दर्द किसी न बाँट सके !!

है स्वतंत्र जीवन हम सबका ,
राह हमीं को चुनना है !
अपने कर्मो को निर्मल कर ,
नये समाज को गढ़ना है !!
————————-
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखंड
भारत

Loading...