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24 Jul 2021 · 1 min read

न रोको तुम किसी को भी....

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
न रोको तुम किसी को भी, न टोको तुम किसी को भी।
करे जो जी करे जिसका, न बोलो कुछ किसी को भी।
हमारा काम समझाना, न समझे तो करें क्या हम,
सभी गम से गुजरते हैं, न समझो खुश किसी को भी।
-© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद

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