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19 Jul 2021 · 1 min read

जीवन यह दुश्वार बहुत है

जीवन यह दुश्वार बहुत है
दिल मेरा बेजार बहुत है

याद नहीं करता वो मुझको
पर कहता है प्यार बहुत है

उसकी बातों में मत आना
उसके भीतर ख़ार बहुत है

सोच समझकर नेह लगाना
रिश्तों में व्यापार बहुत है

उसकी सूरत है भोली पर
शबनम में अंगार बहुत है

घात लगाकर बैठा है जो
बातों से रसदार बहुत है

चैन कहाँ ‘आकाश’ मिलेगा
दुनिया में तकरार बहुत है

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 18/07/2021

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