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18 Jul 2021 · 1 min read

आओ मिलकर दीप जलाएं

✒️?जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र के क्रम में मेरे द्वारा लिखी गई कविता :-

विषय :आओ मिलकर दीप जलाएं

आओ मिलकर दीप जलाएं
अपने अंतर्मन में अलख जगाएं
बाहर की रौशनी तो बहुत हो चुकी
आत्मा को जाग्रत करने वाली लौ बनाएं
बाहर का दीपक एक प्रथा -दुनियादारी है
आंतरिक दीपक उस परब्रह्म तक जाने की तैयारी है
सकंल्प लेते हुए इस दीपक की अग्नि में पाँचों विकारों (काम -क्रोध -मद -लोभ और अहंकार )को जलाएं
अपने आपको उस दीपक के तेल में नहला कर आत्मा को पवित्र बनाएं
जलाएं एक ऐसा दीपक जिससे की हम अनगिनत भटके हुओं को राह दिखाएं
हर आरती में आने वाले तेरा तुझको अर्पण की परिभाषा समझाएं
आओ मिलकर दीप जलाएं
सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान

बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!?

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