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17 Jul 2021 · 1 min read

न खाते फल...

न खाते फल तरू अपने, न पीती जल नदी अपना ।
बरसते मेघ परहित में, न रखते स्वार्थ ये अपना ।
गगन में चाँद सूरज भी, जगत हित रोज आते हैं,
सुजन जग में जनम लेकर, निभाते फर्ज हर अपना ।
– © सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद

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