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17 Jul 2021 · 1 min read

बिदाई

नाजों से पली
ससुराल को चली
बांध प्रीत की डोर
अपने पिया के छोर

बाबुल भी खड़े रोते
क्यों ऐसे पल होते
छोड़ मां का आँचल
बहन भाई रहे मचल

सखियाँ भी आंसू छुपाती
बिदाई के गीत गाती
आंगन भी उदास है
पल ये मगर खास है

सजी खड़ी डोली है
बिदाई की ये घड़ी है
बज रही शहनाई है
ये शुभ घड़ी आई है

वीर कुमार जैन
17 जुलाई 2021

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