यादें
कुछ अल्हड़ बेबाक जवानी, कुछ बचपन की बातें।
स्मृतियों का खुला पिटारा, निकली भूली बिसरी यादें।
हैं चिन्हित देखो मनस पलट पर,वो कुछ आशा और फरियादे।
मन में थोड़ी कसक तब उठी, पूरे जो न कर पाए इरादे।
यादों का सिलसिला चलता रहा, याद आ गए वह सारे वादे।
उद्धेलित कर अंतर्मन की पीड़ा को, मुखर हो उठी पुरानी यादें।
कुछ फ़ूल सी, कुछ शूल सी, कुछ आँखों को नम करती यादें।
ठहर गया कुछ पल के लिए समय,आई है याद वो जादुई बातें।