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14 Jul 2021 · 1 min read

गजल

शमा को छोड़कर अक्सर ये परवाने नहीं जाते
मिटा देते ये खुद को दिल को बहलाने नहीं जाते
बड़े खुद्दार हैं जीते हैं मरते हैं उसूलों पर
बुलाये बिन ये दीवाने नहीं जाते
अगर कुछ करना है कमबख्त तो मैदान में आ जा
जो रहते भीड़ में पीछे वो पहचाने नहीं जाते
प्यार मिल जाता उन्हें भरपूर अपनो का,
तनावों में नहीं रहते वो मयखाने नहीँ जाते!!

आभा सिंह
लखनऊ उत्तर प्रदेश

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