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6 Jul 2021 · 1 min read

गुज़र गया वक़्त देखते देखते

गुज़र गया वक़्त देखते देखते,
हर दिन के रुख को
सवांरते सवांरते,
आंधी ओ तूफान मेँ
उलझते और निकलते
न दिन का पता चला
न रात का..

हर दिन की सुबह ढलती रहीं
हर रात की अँधेरी गुज़रती रहीं
दिन गुज़रते गये,
रात गुज़रती गई,
पता ही नहीं चला
कब उलझनों को निखार कर
मिथ्या को झंझोर कर
जीवन पथ के पथ पर
आ गया मै, अपने को सवांर कर |

ईश की कृपा को अनुभुतित कर
मन मै दृढ़ संकल्प कर
ईशवर के उज्वल पथ पर
अग्रसर से ततपर हो कर
चलूँगा फिर से सर्व निष्ठां पथ पर |

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