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4 Jul 2021 · 3 min read

प्रदीप छंद विधान सउदाहरण

यह कविवर प्रदीप जी के नाम का छंद है , जिनका सुप्रसिद्ध गीत – आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ , झांकी हिंदुस्तान की
का सुनने मिलता है | फिल्म जागृति , सन् 1954

#प्रदीप_छंद (एक चरण चौपाई +दोहे का विषम चरण )
16,13 पर यति कुल 29 मात्राएं. (मात्रिक‌ छंद है )

विशेष संकेत ~चौपाई चरण का पदांत चौपाई विधान से ही करें एवं दोहे के चरण का पदांत दोहा विधान से‌ ही करें ) चौपाई के चरण में 16 मात्रा गिनाकर पदांत. रगड़‌ ( 212 ) से‌ बर्जित है

यह‌ गेय छंद है , इस छंद‌‌ में गीतिका , गीत , कथ्य युग्म , मुक्तक लिखे जा सकते है

सोलह -तेरह मात्राओं से , बनता छंद प्रदीप है |
मात्रिक चार चरण का जानो , रखना बात समीप है |
विषम चरण हो चौपाई सा, सम हो‌ दोहा का प्रथम ~
है‌‌ सुभाष लय इसमें पूरी, समझो छंद सुदीप‌ है |
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विषय- मित्र (चार चरण के दो युग्म में )

मित्र सदा मिलता रहता है , भाई‌‌ खोजे यार में |
सुख दुख में वह‌ साथ निभाता, जुड़ा रहे परिवार में ||(1)

करे‌ सामना आलोचक से , कमी‌‌ नहीं तकरार में |
सदा मित्र‌‌‌ को अच्छा माने , अपने नेक विचार में ||(2)

(अब यही युग्म मुक्तक में )

मित्र सदा मिलता रहता है , भाई‌‌ खोजे यार में |
सुख दुख में वह‌ साथ निभाता, जुड़ा रहे परिवार में |
करे‌ सामना आलोचक से , तर्कों के आधार पर –
सदा‌ मित्र को अच्छा‌ माने , अपने नेक विचार में |
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पुन: दो युग्म

मित्र‌‌ इत्र सा जिसको मिलता , खुश जानो संसार में |
हाथ मानिए भाई‌ जैसा , अपने घर परिवार में ||(3)

मिले सूचना यदि संकट की , मित्र कृष्ण अवतार‌ में |
आकर हल करने लगता है , लग‌ जाता उपचार में ||(4)

(अब यही युग्म मुक्तक में )

मित्र‌‌ इत्र सा जिसको मिलता , खुश जानो संसार में |
हाथ मानिए भाई जैसा , अपने घर परिवार में |
मिले सूचना यदि संकट की , आए कृष्णा भेष में ~
बिना कहें हल करने लगता , लग जाता उपचार में |
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इन्ही युग्मों से अब गीतिका

मित्र सदा मिलता रहता है , भाई‌‌ खोजे यार में ,
सुख दुख में वह‌ साथ निभाता, जुड़ा रहे परिवार में |

करे‌ सामना आलोचक से , तर्को के‌ आधार‌ पर ,
सदा मित्र को अच्छा माने , अपने‌ नेक विचार में |

असमान मित्रता हो जाती, मन की उपजी बात में ,
कृष्ण- सुदामा सुनी कहानी , दादी‌ के सुखसार में |

सदा मित्र का साथ निभाओं ,‌ हितकारी आधार पर,
रखो बाँधकर भाई‌ जैसा , अपने दिल के‌ तार में |

आसमान से‌ ऊँची दुनिया , सदा‌ मित्र की‌ देखिए‌ |
मिलते ही मन खिल जाता है , सुख आता दीदार में ||

मित्र खबर पर दोड़ा आता , कृष्णा के परिवेश में |
भरी सभा में लाज बचाता , लग जाता उपकार

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अब इन्हीं‌ सभी युग्मों से गीत तैयार है

मित्र सदा मिलता रहता है , भाई‌‌ खोजे यार में | (मुखड़ा)
सुख दुख में वह‌ साथ निभाता, जुड़ा रहे परिवार में || (टेक)

मित्र‌‌ इत्र सा जिसको मिलता , खुश जानो संसार में |(अंतरा)
हाथ मानिए भाई‌ जैसा , अपने घर के द्वार‌ में ||
मिले सूचना यदि संकट की , मित्र कृष्ण अवतार‌ में |
आकर हल करने लगता है , लग‌ जाता उपचार में ||

करे‌ सामना आलोचक से , कमी‌‌ नहीं तकरार में |(पूरक)
सुख दुख में वह‌ साथ निभाता, जुड़ा रहे परिवार में || (टेक)

असमान मित्रता हो जाती, मन से‌ उपजे‌ प्यार में |(अंतरा)
कृष्ण- सुदामा सुनी कहानी , दादी‌ के‌‌ सुखसार में |
सदा मित्र का साथ निभाओ , हितकारी आधार में |
रखो यार को‌ भाई‌ जैसा , अपने नेक विचार में ||

मिलते ही मन खिल जाता है , सुख आता दीदार में ||(पूरक)
सुख -दुख में वह‌ साथ निभाता, जुड़ा रहे परिवार में || (टेक)

आसमान से‌ ऊँची दुनिया , देखी‌ है संसार. में |(अंतरा)
भाई जैसा मित्र जहाँ है , दिल के जब दरवार में ||
सदा‌ मित्र‌ को रहते‌ देखा , अपने मन के प्यार में |
एक जान मित्रों को‌ कहते‌, दुनिया की रस धार‌ में ||

सदा मित्र का साथ न छोड़ो, सुभाष पड़ो न खार‌ में |(पूरक)
सुख -दुख में वह‌ साथ निभाता, जुड़ा रहे परिवार में || (टेक)
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©सुभाष सिंघई
एम•ए• हिंदी‌ साहित्य , दर्शन शास्त्र
(पूर्व भाषा अनुदेशक ,आई टी आई )
जतारा (टीकमगढ)म०प्र०

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आलेख- सरल सहज भाव शब्दों से छंद को समझानें का प्रयास किया है , वर्तनी व कहीं मात्रा या पदांत दोष हो तो परिमार्जन करके ग्राह करें
सादर

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