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2 Jul 2021 · 1 min read

भगतसिंह के ख़्वाब

कुचल डालो रिवाजों को!
बदल डालो समाजों को!!
इस सड़ी-गली व्यवस्था के
निकलने दो जनाजों को!!
बुतों को बाहर फेंक कर
घर में लाओ किताबों को!!
गुनगुन करते हुए भौंरों से
जरा मिलने दो गुलाबों को!!
लबों तक लाकर मत रोको
कभी दिल की आवाज़ों को!!
देर तक रोकना मुश्किल है
नई नस्ल की परवाजों को!!
ठोकर मार कर बढ़ जाओ
तुम तख़्तों और ताजों को!!
तुम्हें पूरा करना-ही होगा
भग्गत सिंह के ख्वाबों को!!
Shekhar Chandra Mitra
#AmbedkarVision
#DalitMovement
#kabeerreturns

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