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1 Jul 2021 · 1 min read

प्यासा

हरी-भरी ये वादियां
रूखा-सूखा मैं
भींगे-भींगे सावन में भी
प्यासा-प्यासा मैं…
(१)
तरो-ताजा वे बदलियां
थका-हारा मैं
भींगे-भींगे सावन में भी
प्यासा-प्यासा मैं…
(२)
जोश-खरोश में आंधियां
टूटा-बिखरा मैं
भींगे-भींगे सावन में भी
प्यासा-प्यासा मैं…
(३)
झुंड-टोली में चिड़ियां
तनहा-तनहा मैं
भींगे-भींगे सावन में भी
प्यासा-प्यासा मैं…
(४)
हंसी-खुशी से तितलियां
बुझा-बुझा मैं
भींगे-भींगे सावन में भी
प्यासा-प्यासा मैं…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
(A Dream of Love)
#RainSong
#मेघदूत

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