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1 Jul 2021 · 1 min read

एकांतवास

जब दर्द आंँखों से झलकता है,
फर्क कहीं और नहीं पड़ता है,
मुस्कुरा कर चोट दिल पर जो पड़ी,
लबों से बयांँ करते ही नहीं,
खोए-खोए से जो रहते हैं,
पल भर में वह मरते ही नहीं,
सदियों से तपस्या जो करते हैं,
अब जीने से भी डरते हैं।

# बुद्ध प्रकाश ;मौदहा, हमीरपुर।

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