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28 Jun 2021 · 1 min read

दुनियां

ये दुनियां इतनी छोटी है
कि चलने पर आपस में सिर टकराता है
और कभी इतनी बड़ी हो जाती है
कि भाई भाई को पहचान नहीं पाता है
आखिर कितनी लचीली है ये
जब चाहे अपना आकार बदल लेती है
भाई भाई, बाप बेटा, भाई बहन के
रिश्ते को पलक झपकते मसल देती है
कभी सोचा है
प्राण तो प्राण हैं
महाप्रयाण कर जायेंगे
और इस लचीली दुनियां में
केवल तुम्हारे ध्वंसावशेष रह जाएंगे
तो आओ
ऐसी दुनियां का निर्माण करें
जो न तो छोटी हो और न बड़ी
बस इतनी हो कि
भाई भाई को पहचान सके
रिश्तों को असली आयाम दे सके
और हम कह सकें
ये दुनियां कितनी अच्छी है
ये दुनियां कितनी सच्ची है
़़़़़़़़़़़़ अशोक मिश्र

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