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20 Jun 2021 · 1 min read

गज़ल (पत्थरों सा जो हो गया होता)

गज़ल (पत्थरों सा जो हो गया होता)
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पत्थरों सा जो हो गया होता।
आज मैं भी खुदा हुआ होता।

फूल ये इस तरह न मुरझाता।
प्यार से आपने छुआ होता।।

हम अँधेरों से पार पा लेते।
एक भी दीप यदि जला होता।

आपने यदि हवा न दी होती।
जख्म फिर से न ये हरा होता।

कंटकों से न घर सजाते तो।
आज दामन न ये फटा होता।।

काश तू पहले मिल गया होता
हाल तेरा न यूँ बुरा होता

राज दिल में अगर रखा होता
दोस्त तू यूँ न बेवफा होता।

कृष्ण रहमत खुदा की हो जाती।
उसकी चौखट पे जो झुका होता।।

श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद ।

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