Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jun 2021 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक
**************
लिखने जब जाते हैं।
कुछ समझ नही आता है।
लेखनी जब रुक जाता है,
वही मुक्तक कहलाता है।।
**************
स्वरचित एवं मौलिक
मैं

Language: Hindi
4 Likes · 1 Comment · 620 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
.
.
*प्रणय प्रभात*
आज के पापा
आज के पापा
Ragini Kumari
हर कोई स्ट्रेटजी सिख रहा है पर हर कोई एक्जीक्यूशन कैसे करना
हर कोई स्ट्रेटजी सिख रहा है पर हर कोई एक्जीक्यूशन कैसे करना
पूर्वार्थ देव
सारे गीत समर्पित तुझको।
सारे गीत समर्पित तुझको।
Kumar Kalhans
When you find the person who gives you peace, nothing else m
When you find the person who gives you peace, nothing else m
पूर्वार्थ
अब मैं
अब मैं
हिमांशु Kulshrestha
*लक्ष्य हासिल हो जाएगा*
*लक्ष्य हासिल हो जाएगा*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
हल्की बातों से आँखों का भर जाना
हल्की बातों से आँखों का भर जाना
©️ दामिनी नारायण सिंह
लोग कब पत्थर बन गए, पता नहीं चला,
लोग कब पत्थर बन गए, पता नहीं चला,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार
Sahil Ahmad
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
Ayushi Verma
"ओ मेरे मांझी"
Dr. Kishan tandon kranti
221 2122 2 21 2122
221 2122 2 21 2122
SZUBAIR KHAN KHAN
अपने
अपने
Suraj Mehra
"मासूम ज़िंदगी वो किताब है, जिसमें हर पन्ना सच्चाई से लिखा ह
Dr Vivek Pandey
कोई   बोली    लगा    नहीं   सकता
कोई बोली लगा नहीं सकता
Dr fauzia Naseem shad
"अगर हो वक़्त अच्छा तो सभी अपने हुआ करते
आर.एस. 'प्रीतम'
“बारिश और ग़रीब की झोपड़ी”
“बारिश और ग़रीब की झोपड़ी”
Neeraj kumar Soni
हनुमान वंदना त्रिभंगी छंद
हनुमान वंदना त्रिभंगी छंद
guru saxena
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
पानी की तरह प्रेम भी निशुल्क होते हुए भी
पानी की तरह प्रेम भी निशुल्क होते हुए भी
शेखर सिंह
ताउम्र रास्ते पे तो चलते रहे हम
ताउम्र रास्ते पे तो चलते रहे हम
Befikr Lafz
एक दिन मजदूरी को, देते हो खैरात।
एक दिन मजदूरी को, देते हो खैरात।
Manoj Mahato
या खुदाया !! क्या मेरी आर्ज़ुएं ,
या खुदाया !! क्या मेरी आर्ज़ुएं ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
पर्दा खोल रहा है
पर्दा खोल रहा है
संतोष बरमैया जय
मुझसे  ऊँचा क्यों भला,
मुझसे ऊँचा क्यों भला,
sushil sarna
2958.*पूर्णिका*
2958.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जनता को तोडती नही है
जनता को तोडती नही है
Dr. Mulla Adam Ali
वो सबके साथ आ रही थी
वो सबके साथ आ रही थी
Keshav kishor Kumar
Loading...