Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jun 2021 · 1 min read

शब्द – बूंद

जलकण में
जिंदगी समाहित
जीवनदाता ।

बूंद – बूंद से
संचित प्राण सुधा
तृप्त जीवन ।

तहसीलना
प्रकृति उपहार
नतमस्तक ।

चाहत बूंद
सर्वत्र सूखापन
अधर प्यासे ।

प्रत्येक बूंद
अनमोल रतन
बेशकीमती ।

बरसी बूंदें
टप टप टपके
छत छप्पर ।

संयुक्त बुंदें
भीषण हाहाकार
प्रलयंकारी ।

बूंदें बरसीं
सिंचित वसुंधरा
उम्मीद जगी ।

बूंद सलील
विकराल समुद्र
तहस नाश ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 24/05/2021 )

Language: Hindi
625 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mamta Singh Devaa
View all

You may also like these posts

मजदूर
मजदूर
Shweta Soni
बाप की गरीब हर लड़की झेल लेती है लेकिन
बाप की गरीब हर लड़की झेल लेती है लेकिन
शेखर सिंह
एक बार पंडित अंकल है आए
एक बार पंडित अंकल है आए
Umender kumar
पवित्रता की प्रतिमूर्ति : सैनिक शिवराज बहादुर सक्सेना*
पवित्रता की प्रतिमूर्ति : सैनिक शिवराज बहादुर सक्सेना*
Ravi Prakash
সেই আপেল
সেই আপেল
Otteri Selvakumar
जहर मे भी इतना जहर नही होता है,
जहर मे भी इतना जहर नही होता है,
Ranjeet kumar patre
यह कैसी विडंबना
यह कैसी विडंबना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
गुलाबी स्त्रियां
गुलाबी स्त्रियां
Meenakshi Bhatnagar
Tea Lover Please Come 🍟☕️
Tea Lover Please Come 🍟☕️
Urmil Suman(श्री)
लघुकथा कहानी
लघुकथा कहानी
Harminder Kaur
हे ईश्वर - ॥
हे ईश्वर - ॥
Ashwani Kumar Jaiswal
गीली लकड़ी की तरह सुलगती रही ......
गीली लकड़ी की तरह सुलगती रही ......
sushil sarna
घनाक्षरी
घनाक्षरी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
रमेशराज के विरोधरस दोहे
रमेशराज के विरोधरस दोहे
कवि रमेशराज
दीवाने खाटू धाम के चले हैं दिल थाम के
दीवाने खाटू धाम के चले हैं दिल थाम के
Khaimsingh Saini
एक पल
एक पल
Meera Thakur
बातों से किया गया घाव पूर्णतया असहनीय है,
बातों से किया गया घाव पूर्णतया असहनीय है,
manjula chauhan
गीत- मुबारक जन्मदिन तुमको...
गीत- मुबारक जन्मदिन तुमको...
आर.एस. 'प्रीतम'
रावण जी होना चाहता हूं / मुसाफिर बैठा
रावण जी होना चाहता हूं / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
मत गुजरा करो शहर की पगडंडियों से बेखौफ
मत गुजरा करो शहर की पगडंडियों से बेखौफ
©️ दामिनी नारायण सिंह
फूल
फूल
डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि'
ਕਿਸਾਨੀ ਸੰਘਰਸ਼
ਕਿਸਾਨੀ ਸੰਘਰਸ਼
Surinder blackpen
समाज
समाज
Dr.Archannaa Mishraa
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -189 से चयनित श्रेष्ठ दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -189 से चयनित श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"अकेला"
Dr. Kishan tandon kranti
विचित्र
विचित्र
उमा झा
"कुछ तो गुना गुना रही हो"
Lohit Tamta
# विचार
# विचार
DrLakshman Jha Parimal
A Resolution’s Promise
A Resolution’s Promise
Shyam Sundar Subramanian
3238.*पूर्णिका*
3238.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...