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5 Jun 2021 · 1 min read

चलता रहा

चलता रहा कल तक, आज की खातिर ।
बजता रहा साज भी ,आवाज की खातिर ।
उतरती रहीं कुछ नज़्में, ख़्वाब जमीं पर ,
देतीं रहीं हसरतें हवा , नाज की ख़ातिर ।
….विवेक दुबे”निश्चल”@…

Language: Hindi
600 Views
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