Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jun 2021 · 5 min read

पटल समीक्षा जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़

209-आज की समीक्षा*

दिनांक -1-6-2021

समीक्षक- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’, टीकमगढ़

बिषय-हिंदी दोहा लेखन बिषय – “तंबाकू”

आज पटल पर हिंदी में तंबाकू केन्द्रित दोहे पोस्ट करने थे सभी साथियों ने शानदार दोहे लिखे हैं तंबाकू के लाभ बताये तो उसकी हानियां भी बताई। बैसे कहा जाता है कि थोड़ी मात्रा के उपयोग किया जाये तो लाभदायक होती है किन्तु यदि इसकी लत लग जाये तो बहुत खराब होती है कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो जाती है । शोध में पता चला है कि इसके लगभग 18 विषेले तत्व पाये जाते है। जो हमारे शरीर को हानि पहुंचाते है। हम तो यही कहेंगे कि इस घातक नशे से दूर ही रहिए।
आज सबसे पहले पटल पर 1 श्री अशोक पटसारिया जी नादान लिधौरा से भी यही कह रहे हैं कि इससे लाखों लोग हर साल मरते है। फिर भी आदमी नहीं मानते। अच्छे दोहे रचे है बधाई।
जातीं हैं प्रतिवर्ष ही,जाने कितनी जॉन।
तम्बाकू सेवन हुआ, युवा वर्ग की शान।।
तम्बाकू से रंग गई,दफ्तर की दीवाल।
कोई इनको रोक दे, किसकी यहां मजाल।।

2 श्री जयहिन्द सिंह जी जयहिन्द,पलेरा ने चेतावनी देते शानदार दोहे लिखे है बधाई दाऊ।
तंबाकू मुख मंजनी,दुख भंजन कहलाय।
जान जान अंजान हों,फिर भी भारी भाय।।
तंबाकू बिष भरा है,लेती है यह जान।
फिर भी इसकी तौल से,तुलता है इंसान।।

3 श्री परम लाल जी तिवारी,खजुराहो से तंबाकू के दोष गिना रहे है बढ़िया दोहे है। बधाई हो।
तंबाकू इक जहर है,करो न इसे प्रयोग।
धवल दंत काले पड़े,उपजे उनमें रोग।।
जो चाहो हरि भजन को,छोड़ो यह तत्काल।
इसमें दोष अनेक हैं,देखो ग्रंथ निकाल।।

4 श्री गुलाब सिंह यादव जी भाऊ लखौरा से लिखते है कि अंग्रेजों ने यह नशा भारत में फैलाया है अच्छे दोहे है बधाई भाऊ।
अग्रेंजन ने आन के,नशा रोग प्रचार।
बलसाली भारत मिटे, जावे हमसे हार।।
रोग कैंसर होत है,करे तम्बाकू पान।
कष्ट अनेकन होत है, जावे बिरथा जान।।

5 श्री सरस कुमार जी दोह खरगापुर से किसी भी प्रकार का नशा नहीं करने के लिए कह रहे हैं। वे कहते हैं कि यह जीवन थोड़ा सा है इसलिए नशे से बचकर रहे। उमदा दोहे है बधाई।
सेहत की चिन्ता करो, तंबाकू ना खाय।
जो ना माने बात खो, उनखा जम ले जाय।।
जीवन थोरो सो बचो, करो न जीवन हान ।
गुटखा, तमाखू, मदिरा, ले लेती है प्रान ।।

6 श्री राजेन्द्र जी यादव “कुँवर”,कनेरा बडा मलहरा कहते है कि तंबाकू एक ज़हर है। यह सब बर्बाद कर देती है अच्छा लिखा है बधाई।
जहर, तंबाकू खाव न, मानो प्रीतम बात।
तन धन की हानी करे, औ ठठरी ले जात।।
जीने बँद कें खा लये, गुटका सिगरट ऐन।
मुँह की रंग रोचक गइ, भये अबा से नैन।।

7 राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़ तंबाकू के गुण बता रहे है थोड़ी सी उपयोग करने में कुछ लाभ भी होता है।
तंबाकू इक है नशा,लत खराब कहलाय।
नाश करे ये फेफड़ा,खास-खास मर जाय।।
तंबाकू है इक दवा,गर थोड़ी सी खाय।
गैस,अपच होती नहीं,दांत दर्द मिट जाय।।

8 श्री प्रदीप खरे, मंजुल टीकमगढ़ ने तो तंबाकू खाने के इतने लाभ बता दिये कि यह अनेक रोग की दवाई हो गयी है। बढ़िया दोहे है। लेकिन हमें लत नहीं लगाना चाहिए।
कान दर्द होये कहूं, सुनियौ ध्यान लगाय।
तम्बाकू रस डारियौ,तुरत दर्द भग जाय।।
दांतन कीड़ा नहिं परै,जो तंबाकू खाय।
चिलम लगा कै सूटियौ,तुरत गैस भग जाय।।

9 श्री एस आर सरल जी टीकमगढ़ से लिखते है कि तंबाकू एक धीमा ज़हर है। उमदा दोहे लिखे है बधाई।
तंबाकू धीमा जहर,करता तन पर बार।
अन्दर से कर खोखला,देत जान से मार।।
तम्बाकू बहु घातकी,इससे करो न हेत।
धन की बरबादी करें,रहियों सरल सचेत।।

10 श्री अभिनन्दन जी गोइल, इंदौर से लिखते है कि तंबाकू एक मीठा और धीमा ज़हर है इससे बहुत से रोग होते है बहुत बढ़िया दोहे लिखे है बधाई।
निकोटीन परिपूर्ण है, तम्बाकू का रूप।
ये तो मीठा जहर है,सचमुच मृत्यु स्वरूप।।
तम्बाकू धीमा जहर, व्यर्थ नहीं बदनाम।
धीरे धीरे मौत का , देती है पैगाम।।

11 श्री शोभाराम जी दाँगी, नदनवारा से लिखते है कि तंबाकू नस नस में चढ़ जात है। इससे धन और जन दोनों की हानि होती है। बढ़िया चेतावनी दी है। बधाई।
खाय तंबाकू कोइ जो ,नस -नस तक चढ जाय।
मुँह में छाला बना दिया, कैंसर रोग में जाय ।।
बीस – तीस – चालीस की, खाय तंबाखू रोज ।
कितना धन बर्बाद हुआ, लगा लेव धन योग ।।

12 श्री संजय श्रीवास्तव, मवई दिल्ली से तंबाकू से फायदा कम और नुकसान अधिक होता है। धुआं में उड़ जाती है ज़िन्दगी। बढ़िया दोहे रचे है। बधाई संजय जी।
तंबाकू के लाभ कम,होत अधिक नुकसान।
सेहत भी घट जात है।,घटत मान-सम्मान।।
तंबाकू की लत बुरी, जिसको भी लग जाय।
धीमें-धीमें घुन लगे,घुनत-घुनत घुन जाय।।

13 श्री कल्याणदास जी पोषक पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र) तंबाकू खिकर लोग दीवाले गंदी कर देते है और गंदगी फैलाते है यह ठीक नहीं है। अच्छे दोहे है बधाई।
मुख में तम्बाकू भरें , शौंक नहीं यह ठीक ।
दीवारें गन्दी करें , बुलकें ऐसी पीक ।।
तम्बाकू की लत बुरी , जिसको भी लग जाय ।
तलफ लगत है जब उसे , कुछ भी नहीं सुहाय ।।

14 श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़ से कहते हैं कि अभी भी चेत जाओ वर्ना बाद में बहुत पछताना पड़ेगा। चेतावनी देते बढ़िया दोहे है बधाई।
तंबाकू से पनपते ,दमा यक्ष्मा रोग।
जान बूझकर भी इसे,सेवन करते लोग।।
अभी समय है चेत लो, तंबाकू दो छोड़।
जीवन भर पछताओगे, आयेगा वह मोड़।।

15 श्री डीपी शुक्ला ,सरस,, टीकमगढ़ से कहते हैं कि तंबाकू खाने वाले यहां वहां थूककर दीवाले खराब कर देते हैं। यह खराब आदत है। अच्छे दोहे है बधाई।
तंबाकू दुर्गुणइँ करै,होतै कैंसर रोग ।।
विरथा प्रानै जात है,न समझौ उयै भोग ।।
मंदिर घर में बैठ कें,पिचकारी सी देत।।
भदरंगी बा भीट करें ,लालइ करत सफेत ।।

16 डॉ सुशील शर्मा जी गाडरवाड़ा से लिखते हैं कि तंबाकू खाने से मौत करीब आती है। चेतावनी देते शानदार दोहे है बधाई।
तम्बाखू मुँह में रखें, आती मौत करीब।
अपने पीछे छूटते, बनते लोग गरीब।
जीवन ये अनमोल है, नशा बिगाड़े बात।
तन मन को जर्जर करे, घर मे दुख बरसात।।

17 श्री रामानन्द पाठक नन्द नैगुवां से कहते हैं कि तंबाकू खाने वाला किसी से भी मांग कर खा लेता है उसे शर्म नहीं आती है। अच्छे दोहे है। बधाई।
तम्बाकू आदत बुरी,मानुष अंग नसाय।
दांत मसूड़े मिटें सब,कोइ न पास बिठाया
खायें राखत ढिंग नहीं,औरन हाथ पसार।
लज्जा गिरवीं वे रखें,छोडि तमाखू सार।।

18 श्री राजगोस्वामी दतिया से तंबाकू के गुण बता रहे हैं कि इसका स्वाद मजेदार होता है। अच्छा लिखा है बधाई।
1-तंबाकू घिस हाथ पै मौ मे फक्की देय ।
जीभ मस्त हो जात है स्वाद मजे कौ लेय ।।
2-शौक तबाकू कौ जिने देखत मौ मिठयात ।
खातन देखत काहु खो संग बइ के हो जात ।।

19 श्री रामलाल द्विवेदी प्राणेश,कर्वी चित्रकूट से लिखते है जो घर नशे से दूर रहता है वह स्वर्ग समान होता है उमदा दोहे है। बधाई।
तंबाकू गुटका सुरा , व्यसनी दुर्गुण खान ।
जो घर सात्विकता भरा ,वह घर स्वर्ग समान ।१।
सिगरेट तंबाकू तजो, जो चाहो कल्यान।
खांसी से टीवी हुई ,आफत में अब जान *20 श्री राम गोपाल रैकवार जी ने भी बेहतरीन दोहे लिखे है तंबाकू के प्रत्येक शब्द को विशिष्ट अर्थ देते हुए श्रेष्ठ दोहे रचे है। बधाई।

तम्बाकू से मर रहे,रोज सैकड़ों लोग।
फिर भी इसका हो रहा,खुलेआम उपयोग।।

‘त’ से तामसी भाव है,
‘म’ है मृत्यु सामान।
‘बा’ बाधक है स्वास्थ्य में
‘कू’ कूड़ा सम जान।।

इस प्रकार से आज 20 दोहाकारों ने नवसृजन किया है। हमारे नये साथियों ने भी गजब का लिखा है बहुत आनंद के साथ लिखे है। अच्छा लगा।सभी ने बहुत बढ़िया दोहे रचे है। दोहों में सुंदर भाव है। सभी को बहुत बहुत बधाई, आभार। धन्यवाद।

समीक्षक-

✍️ -राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़ (मप्र)

Language: Hindi
Tag: लेख
317 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
View all

You may also like these posts

"साथ-साथ"
Dr. Kishan tandon kranti
जिंदगी की एक मुलाक़ात से मौसम बदल गया।
जिंदगी की एक मुलाक़ात से मौसम बदल गया।
Phool gufran
मुक्तक
मुक्तक
Raj kumar
परीक्षा
परीक्षा
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
My Precious Gems
My Precious Gems
Natasha Stephen
बच्चे बड़े होते जा रहे हैं ....
बच्चे बड़े होते जा रहे हैं ....
MUSKAAN YADAV
हम मुहब्बत के परस्तार रियाज़ी तो नहीं
हम मुहब्बत के परस्तार रियाज़ी तो नहीं
Nazir Nazar
हे प्रभु
हे प्रभु
विशाल शुक्ल
वे वादे, जो दो दशक पुराने हैं
वे वादे, जो दो दशक पुराने हैं
Mahender Singh
बहे संवेदन रुप बयार🙏
बहे संवेदन रुप बयार🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
करवा चौथ
करवा चौथ
Neeraj Kumar Agarwal
************* माँ तेरी है,माँ तेरी है *************
************* माँ तेरी है,माँ तेरी है *************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आपके साथ आपका रिश्ता आपके हर दूसरे रिश्ते के लिए सुर व ताल स
आपके साथ आपका रिश्ता आपके हर दूसरे रिश्ते के लिए सुर व ताल स
ललकार भारद्वाज
चमकती है बहुत
चमकती है बहुत
Shivkumar Bilagrami
गम
गम
इंजी. संजय श्रीवास्तव
3907.💐 *पूर्णिका* 💐
3907.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
गुफ़्तगू हो न हो
गुफ़्तगू हो न हो
हिमांशु Kulshrestha
Tryst
Tryst
Chaahat
आज हमको लगी खबर कुछ कुछ
आज हमको लगी खबर कुछ कुछ
नूरफातिमा खातून नूरी
मनमानी करते नेता
मनमानी करते नेता
Chitra Bisht
बिखर के भी निखरना है ,
बिखर के भी निखरना है ,
Neeraj kumar Soni
फागुन के फाग ह
फागुन के फाग ह
TAMANNA BILASPURI
अंत में कुछ नहीं बचता है..हम हँस नहीं पाते हैं
अंत में कुछ नहीं बचता है..हम हँस नहीं पाते हैं
पूर्वार्थ
दोहे
दोहे
Rashmi Sanjay
So who's your competition ?
So who's your competition ?
पूर्वार्थ देव
सच्चा मन का मीत वो,
सच्चा मन का मीत वो,
sushil sarna
तारीफ किसकी करूं
तारीफ किसकी करूं
दीपक बवेजा सरल
चूल्हे पर रोटी बनाती माँ,
चूल्हे पर रोटी बनाती माँ,
अश्विनी (विप्र)
..
..
*प्रणय प्रभात*
चूहा भी इसलिए मरता है
चूहा भी इसलिए मरता है
शेखर सिंह
Loading...