Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2021 · 1 min read

बदरिया ओ बदरिया अब तो बरसो मेरे देश

बदरिया ओ बदरिया अब तो , बरसो मेरे देश ।
बूँद-बूँद को तरसी धरती,तरसे हैं परिवेश ।।

तपती सड़कें तपते घर हैं तपते भवन अनूप
सूखी नदियाँ सूखे पोखर सूख गये हैं कूप
झुलसे तरुवर झुलसी पाती झुलसे इनके रुप
खेती क्यारी पूछ रही क्यों मेघा गये विदेश ।।
बदरिया ओ बदरिया ……….. ।।

संग लहू के चले पवन है कुछ कर सके न भूप
जनता करती त्राहि-त्राहि जब लगती तीखी धूप
तेज ताप से चढ़ता पारा छीने रुप अनूप
पेड़ लगाओ नीर बचाओ वांचे सब उपदेश।।
बदरिया ओ बदरिया………… ।।

मन्द सुगन्ध चले पुरवाई बैरिन बोले झूठ
उड़े मेघ सब बिन बरसे ही गये बे वजह रुठ
हुई त्रषित कण-कण धरती माँ पीकर सूखे घूँट
दे जाओ अंजुरी भरि ही जल भेजे भू सन्देश.।।
बदरिया ओ बदरिया……… ।।

?✍️✍️?
डॉ. रीता सिंह
असिस्टेंट प्रोफेसर
राजनीति विज्ञान विभाग
एन. के. बी. एम. जी. पी. जी. कालेज – चन्दौसी
जनपद – सम्भल(उ.प्र.)

Language: Hindi
Tag: गीत
3 Likes · 6 Comments · 544 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

रंग संग रमजान का , लख आया संयोग।
रंग संग रमजान का , लख आया संयोग।
संजय निराला
तिरंगा
तिरंगा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मेला दिलों ❤️ का
मेला दिलों ❤️ का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आभार
आभार
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
हररोज लिखना चाहती हूँ ,
हररोज लिखना चाहती हूँ ,
Manisha Wandhare
ग़ज़ल -1222 1222 122 मुफाईलुन मुफाईलुन फऊलुन
ग़ज़ल -1222 1222 122 मुफाईलुन मुफाईलुन फऊलुन
Neelam Sharma
विटप बाँटते छाँव है,सूर्य बटोही धूप।
विटप बाँटते छाँव है,सूर्य बटोही धूप।
डॉक्टर रागिनी
अच्छी लगती झूठ की,
अच्छी लगती झूठ की,
sushil sarna
नन्ही
नन्ही
*प्रणय प्रभात*
4072.💐 *पूर्णिका* 💐
4072.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
What if...
What if...
R. H. SRIDEVI
मैंने कब चाहा जमाने की खुशियां  मिलें मुझको,
मैंने कब चाहा जमाने की खुशियां मिलें मुझको,
इंजी. संजय श्रीवास्तव
बालों की सफेदी देखी तो ख्याल आया,
बालों की सफेदी देखी तो ख्याल आया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"लहर"
Dr. Kishan tandon kranti
बोर हो गए घर पर रहकर (बाल कविता)
बोर हो गए घर पर रहकर (बाल कविता)
Ravi Prakash
कृष्ण कन्हैया
कृष्ण कन्हैया
Karuna Bhalla
ऊँची पहाड़ियों पर भी बर्फ पिघलते हैं,
ऊँची पहाड़ियों पर भी बर्फ पिघलते हैं,
Mr. Jha
बसंत
बसंत
Lovi Mishra
"चित्कार "
Shakuntla Agarwal
मन को भाये इमली. खट्टा मीठा डकार आये
मन को भाये इमली. खट्टा मीठा डकार आये
Ranjeet kumar patre
जिसके साथ खेलकर मन भर जाए वो खिलोना नहीं है बेटी अरे स्वयं म
जिसके साथ खेलकर मन भर जाए वो खिलोना नहीं है बेटी अरे स्वयं म
Harshita Choubisa 🖊️🔥📝
मिट्टी
मिट्टी
DR ARUN KUMAR SHASTRI
रिश्ते
रिश्ते
पूर्वार्थ
व्यस्तता
व्यस्तता
Surya Barman
कश्ती का सफर
कश्ती का सफर
Chitra Bisht
सत्य और सत्ता
सत्य और सत्ता
विजय कुमार अग्रवाल
है हार तुम्ही से जीत मेरी,
है हार तुम्ही से जीत मेरी,
कृष्णकांत गुर्जर
न हम नजर से दूर है, न ही दिल से
न हम नजर से दूर है, न ही दिल से
Befikr Lafz
सपना बुझाला जहान
सपना बुझाला जहान
आकाश महेशपुरी
वो ख़ुद हीे शराब-ए-अंगूर सी महक रही है ,
वो ख़ुद हीे शराब-ए-अंगूर सी महक रही है ,
Shreedhar
Loading...