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30 May 2021 · 1 min read

कहीं किसी रोज़

कहीं किसी रोज़
बस ऐसा हो जाये
मेरे अपने
मेरे टूटे हुए दिल के
बिखरे सपने
मेरे मां बाप
मेरे से जुड़े
मेरे सब प्रियजन
मुझे किसी राह के
एक मोड़ पर
अचानक मिल जायें
बेशक न बोलें
न पहचानें मुझे
न आयें पास मेरे लेकिन
दूर से ही सही
मुझे उनका एक
आसमान में
रात को चमकते
चांद की तरह
दीदार हो जाये
एक झिलमिलाते सितारे की
रोशनी की चिंगारी की तरह
बस एक पल को
उनकी झलक देखने का सौभाग्य
मंदिर में मिले
प्रभु के दर्शन और प्रसाद की तरह
प्राप्त हो जाये।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

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