Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
27 May 2021 · 1 min read

बरसात में श्राद्ध

सदाबहार सुबह
खूब बरसो मेघा
कि दिल प्यासी ही
रह जाय….
लेकिन ये मेघा
कहीं बहुत तबाही
मचाने आयी है !
वैसे पूरी दुनिया ही
तबाह हो चुकी है
कोविड से !
बरसात का क्या ?
यह तो ‘यास’ है,
जल लिए त्रास है,
पर कल तक तो
यह आश थी !
पर आप अपना
ख्याल रखेंगी,
मेरा क्या ?
शुभ दिवस खत्म हुई
और शुभ रात्रि शुरू….
वैसे रातभर चलेगी बारिश
कल दिन भी
और तीन दिन
तीन रात तक….
क्या पता
और अगले दिन
अगली रात्रि भी,
फिर दिन,
फिर रात्रि भी….
इसके बाद भी
इंद्रधनुष दिखेंगे नहीं !
न ही बच्चे
कागज की नाव
इसबार चला सकेंगे
वर्षा जल में !
हाँ, तेरहवीं की रात को यह
दिख सकती है
यानी इंद्रधनुष….
इसबार रात में ही दिखेगी !
वैसे ही जैसे-
कल रात चाँद बड़ी थी
और चंद्रग्रहण भी,
दिखी नहीं,
क्योंकि दिन में ग्रहण थी !
अब तो निश्चित ही
बरसात से बाढ़ आ जायेगी
और मेढ़क टर-टर्र करेंगे,
श्राद्ध के मंत्रों को….
बावजूद हम कहेंगे-
शंख बाजे, बलाय भागे,
लेकिन यह बलाय तो रहेंगे ही,
कोविड हो, ब्लैक फंगस हो
या जो हो !

Loading...