Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
27 May 2021 · 1 min read

मनमोहिनी मूरत

********* मनमोहिनी मूरत (गीत)*********
मात्रा भार-1222 1222 1222 1222=28
*************************************
बलां की खूबसूरत देख कर ही दिल धड़कते हैं,
कयामत ही बरसती यूं जवां मन भी मचलते हैं।

जहां में खूब हों चर्चे गजब मन मोहिनी मूरत,
भरें सब प्यार के पर्चे अजब सी सोहणी सूरत,
बगीचों में मिली खुश्बू सदा भँवरे भटकते हैं।
कयामत ही बरसती यूं जवां मन भी मचलते हैं।

यहाँ पर हो रही बाते भरे मदमस्त यौवन की,
घटा में झूमती रातें बिखेरे महक सावन की,
धरा प्यासी सदी से देख कर बादल बरसते हैं।
कयामत ही बरसती यूं जवां मन भी मचलते हैं।

तभी से ढूंढती बाँहें मिले दिलदार मनसीरत,
सदा हो सोचती मुझको नहा लूं मैं यही तीर्थ,
करूँ मैं इंतजार जैसे बूँद सारंग तरसते हैं।
कयामत ही बरसती यूँ जवां मन भी मचलते है।

बलां की खूबसूरत देख कर ही दिल धड़कते है।
कयामत ही बरसती यूँ जवां मन भी मचलते हैं।
************************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Loading...